Sunday 2 August 2015

कुंडली में अशुभ है गुरु तो करें ये प्रभावी 11 उपाय



जिन लोगों की जन्म कुंडलीमें बृहस्पति ग्रह (गुरु) की स्थिति शुभ नहीं होती, उन्हें अपने जीवन में अनेक समस्याओं कासामना करना पड़ता है।

इस दोष का उस व्यक्ति की पढ़ाई, नौकरी, दांपत्य जीवन तथा स्वास्थ्यपर विपरीत असर पड़ता है। कुछ साधारण उपाय कर इस दोष के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है। ये उपाय यदि गुरु पूर्णिमा (इस बार 31 जुलाई) के शुभ योग में किए जाएं तो इनके बहुत ही जल्दी शुभ फल प्राप्त होते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं-

1. औषध स्नानबृहस्पति ग्रह से प्रभावित व्यक्ति को हल्दी, शक्कर, नमक, शहद, सफेद सरसों, गूलर, मुलैठी व पीले फूल पानी में डालकर (बहुत कम मात्रा में) नहाना चाहिए। यह उपाय गुरु पूर्णिमा या किसी अन्य गुरुवार से शुरू कर प्रतिदिन करना चाहिए।

2. पुखराज दानजिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह अशुभ स्थान पर स्थित हो, उसे इस दोष के निवारण के लिए गुरु पूर्णिमा पर या गुरु पुष्य योग में ब्राह्मण को कांसा, शक्कर, हल्दी, सफेद सरसों, पीले कपड़े, घी, चने की दाल, पीले फूल, फल, सोना,बृहस्पति यंत्र सहित पुखराज रत्न दान करना चाहिए।

3. गुरु पूर्णिमा के दिन सोने या चांदी के पतरे पर बृहस्पति यंत्र बनवाकर उसे पूजन स्थान पर रखना चाहिए तथा रोज उस यंत्र की विधि-विधान से पूजा करना चाहिए।

4. गुरु पूर्णिमा पर बृहस्पति यंत्र को अष्टगंध से भोजपत्र पर लिखकर, उसकी पूजा करनेके बाद गले या दाहिनी भुजा पर धारण करना चाहिए। चांदी की अंगूठी पर बृहस्पति यंत्र बनवाकर उसे तर्जनी (अंगूठे के पास वाली) उंगली में पहनने से भी गुरु ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण होता है।

5. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का रोज जाप करना चाहिए-बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र- ऊं बृं बृहस्पतये नम:।बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।बृहस्पति गायत्री मंत्र- ऊं आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव:प्रचोदयात्।।इन मंत्रों का जाप उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाए तो शुभ रहता है।

6. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर 27 गुरुवार तक किसी मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाने से शुभ फल मिलते हैं।

7. गुरु पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

8. गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु अथवा किसी साधु को पीले वस्त्र उपहार में देना चाहिए। ये किसी सौभाग्यवती स्त्री को भी दिए जा सकतेहैं।

9. गुरु पूर्णिमा या गुरु पुष्य योग से शुरू कर 7 गुरुवार तक घोड़े को चने की दाल खिलाएं।

10. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर हर गुरुवार को चमेली के 9 फूल बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।

11. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर प्रत्येक गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति को पीले कनेर के फूल अर्पण करना चाहिए।

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