Sunday 2 August 2015

【शिवलिंग पूजन】

【शिवलिंग पूजन】

देह से कर्म और कर्म से देह - ये ही बंधन है। शिव भक्ति इस बंधन से मुक्ति का साधन है। जीव आत्मा तीन शरीरो से जकड़ी है।

स्थूल शरीर - कर्म हेतु
शुक्षम शरीर - भोग हेतु
कारण शरीर - आत्मा के उपभोग हेतु

शिवलिंग पूजन बंधन से मुक्ति में परम सहायक है।
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【पूजा स्थान】

तुलसी, पीपल व् वट वृक्ष के समीप, नदी का तट, पर्वत की चोटि, सागर तीर, मंदिर, आश्रम, पवन धाम, गुरु की शरण इत्यादि।
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【रुद्राक्ष】

शिव नयन जल से प्रगट हुआ, इसी कारण शिव को अति प्रिय है अर्थात शिव पूजा में इसका बहुत महत्त्व है।
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【शिव पूजा व् पुष्प】

कमल -- मुक्ति प्रद, धन प्रद, शांति प्रद
कुशा-- मुक्ति प्रद
दूर्वा -- आयु प्रद
धतूरा -- पुत्र सुख प्रद
आक -- प्रताप प्रद
कनेर -- रोग हर
श्रंघार पुष्प -- संपदा वर्धक
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【मधु, ईख व् गंगाजल】

मधु से शिव पूजन परम सिद्धि पद।
ईख से पूजन परम मंगल कारक।
गंगा जल से पूजन सर्व सिद्धि दायक।
पार्थिव पूजन परम सिद्धि पद।
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【श्रवण, मनन व् कीर्तन】

श्रावण, मनन व् कीर्तन शिव भक्ति के तीन प्रमुख अंग हैं। तीनो ही परम कल्याण मय हैं।
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【दिन व् पूजा】

रविवार पूजा पाप नाशक।
सोमवार पूजा धन प्राप्ति हेतु।
मंगलवार पूजा रोग निवारण हेतु।
बुधवार पूजा पुत्र प्राप्ति हेतु।
गुरूवार पूजा आयु कारक।
शुक्रवार पूजा इन्द्रिये सुख।
शनिवार  पूजा सर्व सुखकारी।
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