Monday 10 August 2015

श्रीकृष्ण

कृष्ण मंदिर जाएं तो जरूर ध्यान रखें
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जब भी कृष्ण भगवान के मंदिर जाएं तो यह जरुर
ध्यान रखें कि कृष्ण जी कि मूर्ति की
पीठ के
दर्शन ना करें। दरअसल पीठ के दर्शन न करने के
संबंध में
भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की
एक
कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण
जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध का एक
साथी असूर कालयवन भी भगवान से युद्ध
करने आ
पहुंचा। कालयवन श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर
ललकारने लगा।
तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले। इस तरह
रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़
पड़ा। जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे तब कालयवन
भी उनके पीछे-पीछे भागने
लगा। इस तरह भगवान
रणभूमि से भागे क्योंकि कालयवन के पिछले
जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और कृष्ण
किसी को भी तब तक सजा
नहीं देते जब कि पुण्य
का बल शेष रहता है। कालयवन कृष्णा की
पीठ
देखते हुए भागने लगा और इसी तरह उसका अधर्म
बढऩे
लगा क्योंकि भगवान की पीठ पर अधर्म का
वास
होता है और उसके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता है। जब
कालयवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया कृष्ण
एक गुफा में चले गए। जहां मुचुकुंद नामक
राजा निद्रासन में था। मुचुकुंद को देवराज इंद्र
का वरदान
था कि जो भी व्यक्ति राजा को निंद से
जगाएगा और राजा की नजर पढ़ते ही वह
भस्म
हो जाएगा। कालयवन ने मुचुकुंद को कृष्ण समझकर
उठा दिया और राजा की नजर पढ़ते ही
राक्षस
वहीं भस्म हो गया।
अत: भगवान श्री हरि की
पीठ के दर्शन नहीं करने
चाहिए क्योंकि इससे हमारे पुण्य कर्म का प्रभाव
कम होता है और अधर्म बढ़ता है। कृष्णजी के
हमेशा ही मुख की ओर से
ही दर्शन करें।
हरे कृष्ण ! जय श्री कृष्ण



राधा ने पूछा मोहन से :- तुम्हें सब लोग चोर क्यों
कहते हैं ?
मोहन जी बोले :- राधे, मैं चोर हूँ, तभी तो लोग
कहते हैं I
राधा जी ने फिर पूछा :- तुम क्या – क्या चुराते हो ?
कान्हा जी बोले :- तो फिर सुनो, जब मैं छोटा था
तब मैं सब
का मन चुराया करता था I फिर थोड़ा बड़ा हुआ तो मैं
माखन चुराने लगा जब थोड़ा और बड़ा हुआ तो मैंने
गोपिओं के वस्त्र चुराये I
उस के बाद मैं भक्तों के प्यार में ऐसा हो गया, की
मैंने एक नए
तरह की चोरी शुरू कर दी I
राधा जी बोली :- कैसी चोरी ?
कान्हा जी ने बड़ा अच्छा जवाब दियi :- आज कल
मैं अपने
भक्तों के पाप भी चुरा लेता हूँ I
राधा जी बोली :- कहाँ है यह भक्त ?
कान्हा जी बोले :- एक तो इस मैसेज को भेज चुका,
दूसरा इसे
पढ़ रहा है
जय श्री राधे कृष्ण…
राघे… राघे…. 💕


उलाहना लीला............आज सब गोपी मिल के यशोदा मैया कू उलाहना देवे चल दयी........सब ब्रज की नव विवाहित गोपी अपनी अपनी सासन कू बोल के आयी है....माता जी आप घर बैठे हम दे आवेगी यशोदा मैया कू उलाहनो आप जाओगी तो बात बहुत बढ जावेगी.....जरा या दृश्य कू आख बन्द करके निहारो तो सही.....यशोदा मैया की हवेली,सब ब्रज गोपी हवेली के प्रांगण मै खडी भयी है,ठाकुर जी मैया यशोदा के पीछे दुबके खडे है.....इतनी ब्रज गोपी एक संग आज तो जरूर मार पडेगी.......सबकी शिकायत शुरू है गयी...मैया देख तेरो लाला बडो शैतान है ई अपने मित्रन की टोली के संग आवे ओर हम एक दिन सब मेरे घर मै घुस आये मैया छीको ऊचो हतो तो बडो लम्बो बांस लेके आये ओर छीको नीचे गिरा दियो.....मैया आप खावे तो खावे संग मै ग्वाल वालन कू हू खिलावै ओर जो थोडो बहुत बच जावे वाय बन्दर न कू खवाय देये.........एक बोली तेरे संग तो बस माखन सौ बीती बहन मेरे यहा तो गजब कर दियो सत्यनारायण की पूजा रखी घर मै...पुआ पूरी बनाय पतो ना खुशबु सूघ लयी का आय गये भाभी काह है आज बडे माल बन रहै है....मै बोली लाला आज सत्यनारायण जी की पूजा रखी है वाकू प्रसाद तैयार कर रही हू....तो पतो है काह बोले हमहि है सत्यनारायण ला हमहि खवाय दै....मैने नेक डाट दिये तो गुस्सा है के चलै गये,मैने प्रसादी तैयार करी पूजन करिवे कू जैसे ही कक्ष मै पहुची हू देखो तो चोकी पै दो छोटे छोटे पिल्ला बैठे है......ऐसो ऊधम करै तेरो लाला मैया......ठाकुर तो दुबक गये मैया के पीछे,मैया कू थोडो गुस्सा आय गयो.....रोज उलाहने रोज शिकायत काह गयी मेरी छडी.....मैया ने छडी उठाई सब ब्रज गोपी एक संग बोल पडी....मैया मारो मत बस प्यार सौ समझाय देयो.........रसिक सन्त कहते है......." देखे बिन कान्हा जब मन नही माना,इन आखो ने आज देखो ब्रह्म पहचाना है..कृष्ण चरण कमलो को,मन मै बसाना.....इन गोपीयो का ताना ये उलाहना तो बहाना है.......ये ताना ये उलाहना तो सब बहाना है जी मन मै आस तो बस उनके दर्शनो की रहती है.......राधै राधै


कृष्ण कथा
एक जंगल में एक संत अपनी कुटिया में रहते थे। एक
किरात (शिकारी), जब भी वहाँ से
निकलता संत को प्रणाम ज़रूर करता था।
एक दिन किरात संत से बोला की मैं तो मृग
का शिकार करता हूँ,आप किसका शिकार
करने जंगल में बैठे हैं.? संत बोले - श्री कृष्ण का, और
रोने लगे। तब किरात बोला अरे, बाबा
रोते क्यों हो ? मुझे बताओ वो दिखता कैसा
है ? मैं पकड़ के लाऊंगा उसको।
संत ने भगवान का स्वरुप बताया, कि वो
सांवला है, मोर पंख लगाता है, बांसुरी
बजाता है। किरात बोला: बाबा जब तक
आपका शिकार पकड़ नहीं लाता, पानी
नही पियूँगा।
फिर वो एक जगह जाल बिछा कर बैठ गया। 3
दिन बीत गए प्रतीक्षा करते भगवान को
दया आ गयी वो बांसुरी बजाते आ गए, खुद
ही जाल में फंस गए। किरात चिलाने लगा
शिकार मिल गया, शिकार मिल गया।
अच्छा बचचू... 3 दिन भूखा प्यासा रखा, अब
मिले हो.? कृष्ण को शिकार की भांति अपने
कंधे पे डाला और संत के पास ले गया।
बाबा आपका शिकार लाया हुँ, बाबा ने
जब ये दृश्य देखा तो क्या देखते हैं किरात के कंधे
पे श्री कृष्ण हैं और जाल में से मुस्कुरा रहे हैं। संत
चरणों में गिर पड़े फिर ठाकुर से बोले - मैंने
बचपन से घर बार छोडा आप नही मिले और इसे
3 दिन में मिल गए ऐसा क्यों..?
भगवान बोले - इसने तुम्हारा आश्रय लिया
इसलिए इसे 3 दिन में दर्शन हो गए। अर्थात
भगवान पहले उस पर कृपा करते हैं जो उनके
दासों के चरण पकडे होता है, किरात को
पता भी नहीं था की भगवान कौन हैं। पर
संत को रोज़ प्रणाम करता था। संत प्रणाम
और दर्शन का फल ये है कि 3 दिन में ही ठाकुर
मिल गए ।
बोलो राधा रास बिहारी की जय....
07/08/2015, 15:20 - ‪+91 99674 95722‬: 😀😀😀
07/08/2015, 15:42 - ‪+91 94146 74333‬: जो जीव एक बार श्री कृष्ण के शरणागत हो जाता है,
उसे फिर किसी ज्योतिषी को अपनी ग्रहदशा और
जन्म कुंडली दिखाने की आवश्यकता नहीं पड़ती।
इसके पीछे का विज्ञान तो यह है कि भगवान के
शरणागत जीव की रक्षा स्वयं भगवान किया करते हैं
और सब ग्रह, नक्षत्र, देवी देवता श्री कृष्ण की ही
शक्तियाँ हैं, सब उनके ही दास हैं। इसलिए भक्त का
अनिष्ट कोई कर नहीं सकता और प्रारब्ध जन्य
अनिष्ट को कोई टाल नहीं सकता।
फिर भी कई बार हम अपने हाथों में रंग-बिरंगी
अंगूठियाँ पहनकर, जप, दान आदि करके हम अपने ग्रहों
को तुष्ट करने में लगे रहते हैं।
श्रीकृष्ण हमारे सखा हैं।
आइये अब समझें कि किस ग्रह का हमारे सर्व समर्थ
श्रीकृष्ण से कैसा संसारी नाता है।

1 - जो मृत्यु के राजा हैं यम, वह यमुना जी के भाई हैं
और यमुना जी हैं भगवान की पटरानी, तो यम हुए
भगवान के साले, तो हमारे सखा के साले हमारा क्या
बिगाड़ेंगे?

2 - सूर्य हैं भगवान के ससुर (यमुना जी के पिता) तो
हमारे मित्र के ससुर भला हमारा क्या अहित करेंगे?

3 - सूर्य के पुत्र हैं शनि, तो वह भी भगवान के साले हुए
तो शनिदेव हमारा क्या बिगाड़ लेंगे?

4 - चंद्रमा और लक्ष्मी जी समुद्र से प्रकट हुए थे।
लक्ष्मी जी भगवान की पत्नी हैं, और लक्ष्मी जी के
भाई हैं चंद्रमा, क्योंकि दोनों के पिता हैं समुद्र।
तो चन्द्रमा भी भगवान के साले हुए, तो वे भी
हमारा क्या बिगाड़ेंगे?

5 - बुध चंद्रमा के पुत्र हैं तो उनसे भी हमारे प्यारे का
ससुराल का नाता है। हमारे सखा श्रीकृष्ण बुध के
फूफाजी हुए, तो भला बुध हमारा क्या बिगाड़ेंगे?

6 - बृहस्पति और शुक्र वैसे ही बड़े सौम्य ग्रह हैं फिर ये
दोनों ही परम विद्वान् हैं, इसलिए श्रीकृष्ण के भक्तों
की तरफ इनकी कुदृष्टि कभी हो ही नहीं सकती।

7 - राहु केतु तो बेचारे जिस दिन एक से दो हुए, उस
दिन से आज तक भगवान के चक्र के पराक्रम को कभी
नहीं भूले।
भला वे कृष्ण के सखाओं की ओर टेढ़ी नजर से देखने की
हिम्मत जुटा पाएँगे?

8 - तो अब बचे मंगल ग्रह।
ये हैं तो क्रूर गृह, लेकिन ये तो अपनी सत्यभामा जी
के भाई हैं। चलो ये भी निकले हमारे प्यारे के ससुराल
वाले। अतः श्रीकृष्ण के साले होकर मंगल हमारा
अनिष्ट कैसे करेंगे?
इसलिए श्री कृष्ण के शरणागत को किसी भी ग्रह से
कभी भी डरने की जरूरत नहीं!
संसार में कोई चाहकर भी अब हमारा अनिष्ट नहीं कर
सकता।
इसलिए निर्भय होकर, डंके की चोट पर श्रीकृष्ण से
अपना नाता जोड़े रखिए।
हाँ, जिसने श्रीकृष्ण से अभी तक कोई भी रिश्ता
पक्का नहीं किया है, उसे संसार में पग-पग पर ख़तरा है।



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