Sunday 2 August 2015

गुरु

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
ध्यानमूलं गुरुर्मूति, पूजामूलं गुरोर्पदं।
मन्त्रमूलं गुरुवाक्यं, मोक्षमूलं गुरोर्पदं।।
अखण्डमण्डलाकारं, व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन, तस्मै श्रीगुरुवे नमः।।
अज्ञान-तिमिरान्धस्य, ज्ञानाञ्ज-शलाक्या।
चक्षुरुन्मीलितं येन, तस्मै श्रीगुरुवे नमः।।
ॐ श्रीगुरुवे नमः

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